Faiz की नज्म 'Hum Dekhenge' सुर्खियों में है इसके मायने समझिए | Quint Hindi

2020-01-05 324

जनरल जिया-उल-हक, एक कट्टार सैन्य तानाशाह, का शासन पाकिस्तान में चरम पर था, इस्लाम के जरिए पाकिस्तान में शोषण कर रहा था, जुल्म ढा रहा था. फैज़ अहमद फ़ैज़, एक क्रांतिकारी शायर, उसके रेजीम के खिलाफ आवाज उठाते हुए... ये लिखा, उसके कुछ सालों बाद, जब इक़बाल बानो ने 1986 में इसे अपने अंदाज में गया तो मानो ये एक विरोध की, विद्रोह की, क्रांति की पुकार बन गई.